नारी शक्ति का एक अंश
आप सभी को दशेरा का ढेरसारी शुभकामनाए.
आज के दिन माँ सीता के स्वामी यानि श्री राम ने रावण के साथ उसके
अहंकार का भी अंत किया था, भलेही उनकी जन्म राशी एक थी लेकिन कर्म बोहत अलग थे.
आपको शायद पता होगा की शूर्पनखा यानि रावण की बहेन की नाक किसने और क्यों काटी थी ?
अगर नहीं तो चलो आपको बतादु, जब श्री राम,सीता माँ और लक्ष्मण वनवास काट रहे थे तब
शूर्पनखा ने श्री राम को देखा और मोहित हो गयी तभी उसने अपना असुर रूप बदल के
सुंदर रूप धारण करके श्री राम के पास गई और अपनी सुंदरता का परिचय खुद करने लगी और
श्री राम से सादी करने की इच्छा जताई,श्री राम ने बड़ी विनम्रता से मना कर दिया और
कहा मे तन और मन से मेरी पत्नी सीता का हो गया हु.और ये सुनकर शूर्पनखा को गुस्सा
आया और उसने माँ सीता पे आक्रमण करने की चेष्टा की क्यूँ की शूर्पनखा को अपने
सुंदर शरीर पर घमंड था जो माँ सीता को देख टूट चूका था फिर भी वो नहीं मानी तभी
श्री राम के भाई लक्ष्मण ने अपने बाण से उसकी नाक ही काट डाली जब नाक ही कट गई तो
अब घमंड किस बात का !
इस कहानी से हमें सिख ना चाहिए के अगर कोई बी व्यक्ति अपने शरीर या
फिर रूप पे घमंड करे तो वो ज्यादा तक नही टिक पाता एक ना एक दिन टूट ही जाता है
पहले रावण का अहंकार टुटा फिर उसकी बहेन का, तो कभी भी किसी चीस का घमंड मत रखिये.
अब बात करते हे माँ सीता की जो अपने धर्म और कर्म से जानी जाती हे.
माँ सीता राजा जनक की पुत्री और मिथिला की राजकुमारी थी.जब शाद्दी के बाद श्री राम
को वनवास भुगतना पड़ा तब उनके भाई लक्ष्मण और आदर्श पत्नी माँ सीता बी उनके साथ
वनवास काटने के लिए तैयार हो गई. वो राजकुमारी थी फिर बी धर्म का पालन करते हुए
उन्होंने अपने जीवन में मोह माया को आने ही नहीं दिया वो इतनी आदर्श और पवित्र थी
की हम उन्हें कभी भूल नहीं सकते.उन्होंने हर परिस्थिति में अपने पति श्री राम का
साथ दिया वो चाहे सुख हो या दुःख एक ढाल बनके श्री राम के आगे खडी रही. जब लंका
पति रावण ने माँ सीता का हरण किया तभी वो निडर थी और अपने पति श्री राम पे अटूट
विश्वास भी कुछ बी हो जाये लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी रावण ने साम,दंड सभी
का इस्तेमाल कर लिया था माँ सीता को अपनी और झुकाने के लिए लेकिन वो भी माँ सीता थी
और जब हनुमान जी माँ सीता को ले जाने के लिए आए तो माँ सिताने श्री राम पे अपना
ध्रद विस्वास और हिमतदिखाई और हनुमान जी से कहा चाहे कुछ भी हो जाए लेकिन मुझे
यकीन हे की मेरे स्वामी श्री राम आयेंगे और रावण को अपने कर्मो की सजा देंगे.माँ
सीता तक्रिबंध दो साल तक शिव-वाटिका में केद रही.उन्होंने सादी में लिए हर वो सात
वचन को पवित्र मन और शुद्ध कर्मो से निभाया. फिर बी उनकी अग्नि परीक्षा ली गई और
माँ सीता ने वो भी दी.शायद इसी वजह से वो एक आदर्श पत्नी और स्त्री शक्ति से जानी
जाती है जो माँ लक्ष्मी का अवतार है.
तो इसी प्रकार अगर आज की नारी माँ सीता जेसे पवित्र और शुद्ध कर्म
करती है तो वो अपने आप में माँ सीता का एक अंश है.अग्नि परीक्षा उसी की होती जो अपने
कर्मो से शुद्ध हो, विस्वास तभी मजबूत होता है जब अपने कर्म और प्रेम पे भरोसा हो.
और में मानता हु के आज की नारी तभी माँ सीता जेसे कर्म करेगी जभी उनके पति श्री
राम जेसे कर्म करेंगे,लेकिन एक नारी सबकुछ कर सकती हे.
“एक नारी अगर चाहे तो रावण को भी राम बना शक्ति है तभी तो
अर्धनारेस्वर की शुरुआत होती है”
Very inspiring... reality that we need to accept and adapt in our today's daily lifestyle...nicely written 🙂
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